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अमित शाह : हिंदी और भारतीय भाषाएं आत्मगौरव की यात्रा की साथी, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, June 26, 2025

मुंबई, 26 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाषाई एकता और आत्मगौरव पर बल देते हुए कहा कि किसी भी भाषा का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह भारतीय हो या विदेशी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमारा आग्रह अपनी मातृभाषाओं को बोलने, उन्हें सम्मान देने और इन्हीं भाषाओं में सोचने का होना चाहिए। शाह ने कहा कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं हो सकती। वह सभी भारतीय भाषाओं की सखी है और सभी भाषाएं मिलकर आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बीते दशकों में भाषा को भारत को तोड़ने के एक औजार की तरह इस्तेमाल करने की कोशिशें हुईं, लेकिन हम सुनिश्चित करेंगे कि अब भाषाएं भारत को एकजुट करने का सशक्त माध्यम बनें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान में जो नींव रखी जा रही है, वह 2047 तक एक महान भारत के निर्माण की दिशा में है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारतीय भाषाओं को समृद्ध किया जाएगा और उनकी उपयोगिता को बढ़ाया जाएगा।

गृह मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय भाषाओं का उपयोग केवल केंद्र में ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों में भी अधिक से अधिक सरकारी कार्यों में होना चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार सभी राज्यों से संपर्क करेगी और उन्हें इसके लिए प्रेरित व सहमत करने का प्रयास करेगी। उच्च शिक्षा में भी भारतीय भाषाओं के उपयोग पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में शुरू करें। केंद्र सरकार इसके लिए हरसंभव सहायता देगी ताकि प्रशासनिक और शैक्षणिक प्रक्रियाएं मातृभाषाओं में संभव हो सकें। 19 जून को शाह ने अपने एक और संबोधन में कहा था कि एक ऐसा समाज दूर नहीं है, जिसमें अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी भाषाएं हमारे देश, संस्कृति, इतिहास और धर्म को समझने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अमृत काल के लिए रखी गई पांच प्रतिज्ञाओं की चर्चा की, जिनमें विकसित भारत का निर्माण, गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व, एकता के लिए प्रतिबद्धता और हर नागरिक में कर्तव्य का भाव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत विश्व की अग्रणी शक्ति बनेगा और इसमें हमारी भाषाएं अहम भूमिका निभाएंगी।


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